- विश्वविद्यालय एवं उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार किसी भी स्थिति में 80% एवं प्रायोगिक पाठयोजनाओं में 90% से कम उपस्थिति होने पर प्रशिक्षणार्थी को विश्वविद्यालय परीक्षा से वंचित कर दिया जायेगा |
- किसी भी प्रशिक्षणार्थी के 15 दिन तक बिना पूर्व अवकाश स्वीकृत कराये अनुपस्थित रहने पर महाविद्यालय से उसका नाम निरस्त कर दिया जायगा | प्राचार्या द्वारा अनुपस्थिति के कारण के बारे में संतुष्ट होने के बाद ही पुनः प्रवेश की अनुमति दी जायेगी |
- अवकाश प्राचार्या से स्वीकृत कराकर ही उसका उपभोग करना चाहिए | विपरीत आचरण अनुशासनहीनता समझा जायेगा |